
रामसर साइट एक ऐसी आर्द्रभूमि होती है जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की होती है और रामसर सम्मेलन के तहत संरक्षित होती है। रामसर सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना है।
रामसर साइट की विशेषताएं:
- अंतरराष्ट्रीय महत्व: रामसर साइट्स का चयन उनके जैव विविधता, जल संसाधनों और पारिस्थितिकी महत्व के आधार पर किया जाता है।
- आर्द्रभूमि संरक्षण: रामसर साइट्स का उद्देश्य आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना है।
- जैव विविधता: रामसर साइट्स में विभिन्न प्रकार के पौधे और जानवर पाए जाते हैं, जिनमें से कई दुर्लभ और लुप्तप्राय हैं।
रामसर साइट के लाभ:
- जैव विविधता संरक्षण: रामसर साइट्स जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- जल संसाधनों का संरक्षण: रामसर साइट्स जल संसाधनों के संरक्षण में मदद करती हैं।
- स्थानीय समुदायों का समर्थन: रामसर साइट्स स्थानीय समुदायों को समर्थन प्रदान करती हैं और उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
भारत में कई रामसर साइट्स हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
– केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान
– सुंदरबन डेल्टा, पश्चिम बंगाल
– चिल्का झील, ओडिशा
– वुल्लर झील, जम्मू और कश्मीर
इन साइट्स का संरक्षण और सतत उपयोग भारत की जैव विविधता और पारिस्थितिकी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राजस्थान में कुल कितनी रामसर साईट्स?
राजस्थान में कुल 4 रामसर साइट्स हैं:
– केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
– सांभर झील
– मेनार
– खीचन
इन साइट्स को उनके जैव विविधता और पारिस्थितिकी महत्व के लिए संरक्षित किया जाता है। ये स्थल प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
